48 घंटे में कैंसर का सफाया…जानिए चमत्कारिक दवा

कैंसर किे मरीजों पर 25 वर्षों के शोध के बाद केलीफोर्निया यूनिवर्सिटी के मेडिकल फिजिक्स एवं साइकोलॉजी के सीनियर प्रोफेसर डॉ. हर्डिन बी जॉन्स का कहना है कि कैंसर के इलाज के तौर पर प्रयोग की जाने वाली कीमोथैरेपी कैंसर पीड़ित मरीज को दर्दनाक मौत की तरह ले जा सकती है।
1.अंगूर के बीजों का सत्व:-
हाल ही में हुए एक शोध में यह बात साबित हुई है कि अंगूर के बीजों का सत्व या अर्क ल्यूकेमिया और कैंसर के अन्य प्रकारों को बहुत ही सकारात्मक ढंग से ठीक करने में बेहद मददगार साबित होता है।
शोध में यह साबित हो चुका है कि अंगूर के बीज सिर्फ 48 घंटे में हर तरह के कैंसर को 76 प्रतिशत तक विकीर्ण करने में सक्षम है। अमेरिकन एसोसिएशन के जर्नल में प्रकाशित एक कैसर रिसर्च के अनुसार अगूर के बीज में पाया जाने वाला जेएनके प्रोटीन, कैंसर कोशिकाओं की विकीर्णों को नियंत्रित करने का काम करता है।
तो अब अच्छी सेहत के लिए सिर्फ अंगूर का ही सेवन न करें बल्कि इसके चमत्कारिक बीजों से भी दोस्ती करें। कैंसर के इलाज के तौर पर अंगूर के बीज काफी कारगर घरेलु उपाय है।
2. (rhubarb) का पौधा:-
रूबर्ब पौधा जिसे रेवतचीनी और रेवन्दचीनी के नाम से भी जाना जाता है. यह पौधा आयुर्वेदिक दवाइयों में प्रयोग किया जाता है. इस पौधे की पत्तियां ज़हरीली होती हैं लेकिन इसके डंठल दवा के रूप में प्रयोग किये जाते हैं.
हालिया हुए यूएस में एक शोध के अनुसार, रूबर्ब पौधे की डंठलों को कैंसर के इलाज के लिए प्रयोग में लाया जायेगा. इस शोध में हैरानी भरे परिणाम सामने आए हैं.
विज्ञानिकों द्वारा इस पौधे से कैंसर विरोधी दावा साल भर में बना लेने का दावा किया है. इस पौधे की डंठलों में एक ख़ास ऑरेंज पिगमेंट पाया जाता है जो कैंसर के सेल्स को 48 घंटे के अन्दर ही खत्म करने की ताकत रखता है.
शोध में इस डंठल का प्रयोग के जरिए दो ही दिनों में लयूकैमिया के आधे से ज्यादा सेल्स को यह पौधा नष्ट कर चुका था.
जॉर्जिया की विनशिप कैंसर इंस्टीट्यूट और एमोरी यूनिवर्सिटी द्वारा 2000 कॉम्पोनेन्ट के साथ इसका परिक्षण किया गया. जिसमें विज्ञानिकों ने पारीटिन पाया. जो एंटी-कैंसर ड्रग के रूप में जाना जाता है.
शोध में चूहों पर 11 दिनों पारीटिन का प्रयोग कर पाया की यह फेफड़ों के कैंसर में कारगर है. इसके साथ ही यह ब्रेन और गर्दन के ट्यूमर को भी ख़त्म कर सकता है.
शोध टीम का कहना है कि इस पौधे जिसे एक प्रकार का फल भी कहा जाता है के आधार पर कैंसर को ख़त्म करने के लिए नई दवाओं को बनाने में सहयोग मिलेगा. इसके परिणाम कीमोथेरेपी की तरह आने वाले सालों में इजात कर लिए जाएंगे.
विशेषज्ञों का कहना है कि पारीटिन का प्रयोग फफूंदी रोधक के रूप में किया जा चुका है लेकिन दवाओं के रूप में इसका प्रयोग इस अध्ययन के बाद किया जायेगा.
शोध में जुड़े प्रोफेसर चेन का कहना है कि कैंसर के 6PGD स्तर को एक्टिव करने के लिए रूबर्ब का प्रयोग किया जाना, कैंसर को खत्म करने के लिए जरुरी है. इसके प्रयोग से कैंसर 6PGD स्तर तेज़ी से बढ़ेगा जिससे कैंसर सेल्स जल्दी ही नष्ट हो जाएंगे.
यह शोध जर्नल नेचर सेल बायोलॉजी में प्रकाशित हुआ है
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