अनिद्रा (Insomnia) आयुर्वेद द्वारा उपचार

निद्रा शरीर की सबसे प्रधान आवश्यकता है. नींद आने पर ही शरीर का हर कार्य सुनियंत्रित रहता है. आज के समय में जितनी तकनीकी प्रगति मनुष्य ना कर ली है, उसके बदले में अपनी नींद गवाकर बहुत बड़ी कीमत भी चुकाई है. आज का इंसान ईंट और सेमेंट से बनी दीवारों में घिरकर रह गया है और धूप, शुद्ध जल, शुद्ध हवा के लिए बस तरस कर ही रह गया है. अब उसे पक्षियों की चहचहाहट नही सुनाई देती अपितु गाड़ियों के हॉर्न, पेट्रोल का धुआँ यही नवीन मनुष्य की किस्मत में रह गया है.
प्रकृति से इतना दूर हो जाने से सीधा प्रभाव मनुष्य की नींद पर पड़ता है. इसके अलावा भोजन और दिनचर्या का भी असर मनुष्य की नींद पर प्रमुख तौर पर देखने को मिलता है.
हर व्यक्ति की निद्रा की आवश्यकता अलग-अलग होती है. कुछ लोग सिर्फ़ 6 घंटे की नींद से तरो-ताज़ा महसूस करते हैं जबकि कइयों में यह आवश्यकता 10 घंटे तक भी जाती है. पर औसतन मनुष्य 6-8 घंटे तक ही सोते हैं. अनिद्रा के कारण काम करते वक़्त तनाव बढ़ जाता है अत्यंत दुष्कर स्थिति की तरह प्रतीत होता है.

अनिद्रा के कारण (Causes Of Insomnia In Hindi)

अनिद्रा के अनेक कारण हैं. परंतु मुख्य कारण मानसिक परेशानी है. किसी भी प्रकार की दर्द, असुविधाजनक मौसीम और वातावरण. अधिक परिश्रम और अत्यंत तनाव व्यक्ति, पेट में गड़बड़ी, क़ब्ज़, अनियमित खानपान की वजह से भी यह शिकायत बढ़ जाती है.
वे सब कारण जिनसे व्यक्ति का वात अनियंत्रित हो जाता है, उससे अनिद्रा की समस्या उत्पन्न होती है. ग़लत खानपान एवं अनियमित जीवनचर्या के कारण वात और पित्त का प्रकोप निद्रा को प्रभावित कर देता है. अत्यधिक चाय और कॉफी लेने से भी वात में गड़बड़ उत्पन्न होती है. मानसिक तनाव से वात में भारी असंतुलन उत्पन्न होता है. व्यक्ति को नींद आने में दिक्कत महसूस होती है तथा बिस्तर पर करवटें बदलने में ही उसकी रात्रि व्यतीत हो जाती है.
पित्त की विकृति से उत्पन्न अनिद्रा में सोने के पश्चात व्यक्ति बार-बार उठ जाता है. डर, घबराहट, धड़कन का बढ़ना, पसीना आना, ये सब लक्षण नींद के टूटने पर महसूस किए जाते हैं. यह भी हो सकता है व्यक्ति की नींद सुबह जल्दी ही टूट जावे और उठने के बाद फिर से उसे नींद नही आती हालाँकि यह लगता है जैसे निद्रा पूरी नही हुई और सोने के पश्चात जो ताज़गी मिलती है वह व्यक्ति को अनुभव नही हो पाती.
वास्तव में अनिद्रा का रोग तीनों दोषों में विकृति के कारण हो सकता है.
आयुर्वेद के अनुसार तर्पक कफ, साधक पित्त और प्राण वात में अभिवृद्धि अथवा असंतुलन उत्पन्न होने से अनिद्रा रोग व्यक्ति को ग्रसित कर लेता है. प्राण वात के कुपित होने से मस्तिष्क की तंत्रिकाएँ अतिसंवेदनशील हो जाती है. इस कारण अनिद्रा का रोग किसी भी कारण से उत्पन्न हो जाता है.

अनिद्रा में कारगर कुछ आयुर्वेदिक औषधियाँ ( Ayurvedic Herbs Useful In Insomnia In Hindi)

ब्राहमी: यह औषधि अनिद्रा में अत्यंत लाभ देती है. रात्रि के समय चूर्ण के रूप में अथवा उबाल कर इसका कादा पीने से या फिर किसी भी रूप में ब्राहमी का सेवन इस रोग में बहुत लाभकारी है. इसके अलावा यह दिमाग़ की कार्यशक्ति को बढ़ाती है.
बच: यह औषधि मस्तिष्क की विभिन्न समस्यायों के इलाज में प्रयोग होती है. अप्स्मार, सिरदर्द, अनिद्रा इत्यादि सभी रोगों के निदान को करने वाली इस औषधि का प्रयोग बहुत सी दवाइयों में किया जाता है.
अश्वगंधा: यह जीवनी शक्ति को बढ़ाने के लिए अत्यंत कारगर है. इसके उपयोग से मन और इन्द्रियों के बीच अच्छा तालमेल बनता है. आयुर्वेद के अनुसार यह तालमेल अच्छी नींद के लिए अत्यंत आवश्यक है. रात्रि सोने से पूर्व दूध अथवा शर्करा और घृत के साथ आधा चम्मच अश्वगंधा चूर्ण का सेवन करना अत्यंत हितकर है.
जटामानसी: इस औषधि द्वारा मस्तिष्क में प्राकृतिक तंत्रिकासंचारक के स्तर को प्राकृतिक रूप से संतुलित करने में सहायता करता है. इसका उपयोग  उपशामक(sedative), अवसाद-नाशक(anti-depressant), अपस्मार- रोधक(anti-epileptic), एवं हृदय-वर्धक (heart-tonic) के रूप में किया जाता है. यह औषधि ना केवल तनाव की स्थिति में मस्तिष्क को शांत कर निद्रा लाने में सहायक है अपितु थकान से ग्रस्त मान में उर्जा का संचार भी करती है. इससे शरीर के सभी अंगों में कार्यशीलता में वृद्धि और संतुलन का निर्माण होता है. इस औषधि को चूर्ण के रूप में सेवन किया जा सकता है. इसका एक-चौथाई चम्मच सोने से 4-5 घंटे पूर्व 1 गिलास पानी में भिगोकर रखें. रात्रि को पानी छान कर पीने से अनिद्रा में लाभ मिलता है.
तगार: यह मस्तिष्क की तंत्रिकाओं (nerves) को बल प्रदान करने वाली औषधि है और रक्त, जोड़, आँतों और शरीर के विभिन्न कोषों (tissues) में से जीव विष (toxins) का निकास करने में सहायक सिद्ध होती है.

अनिद्रा में हितकारी कुछ आयुर्वेदिक प्रयोग ( Ayurvedic Treatments Useful In Insomnia In Hindi)

पिप्पली मूल चूर्ण: इस चूर्ण का 1.5 ग्राम सोने से पूर्व लेना चाहिए.
स्वामक्षक भस्म: 1 ग्राम स्वामक्षक भस्म पानी के साथ सोने से पूर्व लेने से अनिद्रा में लाभ मिलता है.
वातकुलान्तक: 125 मिलीग्राम रोज़ शहद के साथ लेना हितकर है.
निद्रोदय रस: 125 मिलीग्राम रोज़ शहद के साथ सेवन करें.

पंचकर्म प्रणाली द्वारा अनिद्रा का उपचार (Treatment Of Insomnia Through Panchkarma Techniques In Hindi)

पंचकर्म प्रणाली द्वारा शिरोबस्ती, शिरोधरा, नास्यम.
अभ्यनगम: इस क्रिया में पूरे शरीर की मालिश वात-रोधक औषधि सिद्ध तेलों द्वारा की जाती है. तिल तेल, नारायण तेल अथवा बाल तेल का प्रयोग से शरीर में शांति उपार्जित होती है तथा ब्राहमी के तेल से सिर मेी की गयी मालिश अत्यंत गुणकारी है.
पाद अभ्यन्गम: पैरों के तले को क्षीरबल के तेल से मालिश करने से पुर श्रीर सहित मस्तिष्क की नसों में विश्रान्ति उत्पन्न होती है.

योगाभ्यास एवं प्राणायाम ( Yogasana And Pranayama In Treatment Of Insomnia In Hindi)

नियमित रूप से मौलिक योग आसनों के अभ्यास के बाद यदि शवासन किया जाए तो इससे अनिद्रा के रोग से सहज ही छुटकारा मिल जाता है. और योग आसन करने के पश्चात यदि नाड़ी शोधन प्राणायाम का अभ्यास 20-30 मिनट रोज़ हो तो शीघ्र ही अनिद्रा तो निवृत्त होती ही है, इसके साथ हो साथ पूरे तंत्रिका तंत्र  (nervous system) में ताक़त आ जाती है.
प्रकृति के साथ अधिक समय बिताएँ. रोज़ ऐसा करने से मस्तिष्क में प्रकृति के साथ तालमेल बैठने से व्यक्ति अच्छी निद्रा का अनुभव कर सकता है.
योग निद्रा प्रतिदिन करने से भी मस्तिष्क संबंधी सभी रोग निवृत्त हो जाते हैं और निद्रा की गुणवत्ता भी बढ़ जाती है.

घरेलू नुस्खे द्वारा अनिद्रा का शमन  (Ayurvedic Home Remedies Useful In Treatment Of  Insomnia In Hindi)

  • 1 गिलास हरी एलाईची वाले गर्म दूध का सेवन सोने से पहले अत्यंत सहायक है.
  • 1 चम्मच मुलेठी का पाउडर 1 गिलास दूध के साथ प्रातः काल सेवन करना चाहिए.
  • 3 ग्राम पुदीने के पत्ते लेकर 1 कप पानी में 15-20 मिनट तक उबालें. रात्रि को सोने से पहले एक चम्मच शहद के साथ कुनकुने होने पर सेवन करें.
  • सोने से पहले नारियल या सरसों तेल से पैरों और पिंडलियों में मालिश करना अत्यंत लाभकर है.
  • 1 चम्मच ब्राहमी और अश्वगंधा का पाउडर 2 कप पानी आधा रह जाने तक उबालें. रोज़ सुबह इसका सेवन करना लाभदायक है.
  • कटे हुए केले पर पीसा हुआ ज़ीरा डाल कर प्रति रात्रि शयन से पूर्व खाना भी नींद लाने में सहायक है.

    पथ्य/ अपथ्य तथा जीवनचर्या में कुछ लाभदायक सुधार (Diet Recommended In Ayurveda For Treatment Of Insomnia In Hindi)

  • ताज़े फलों और सब्जियों का सेवन, छिलकासहित पिसे हुए अन्न, छिलका सहित दालें, दुग्ध एवं मीठे खाद्य पदार्थों का सेवन करना चाहिए.
  • क्रीम की ड्रेसिंग वेल सलाद का सेवन करें.
  • 3 ग्राम पुदीने के पत्ते लेकर 1 कप पानी में 15-20 मिनट तक उबालें. रात्रि को सोने से पहले एक चम्मच शहद के साथ कुनकुने होने पर सेवन करें.
  • सोने से पहले नारियल या सरसों तेल से पैरों और पिंडलियों में मालिश करना अत्यंत लाभकर है.
  • 1 चम्मच ब्राहमी और अश्वगंधा का पाउडर 2 कप पानी आधा रह जाने तक उबालें. रोज़ सुबह इसका सेवन करना लाभदायक है.
  • कटे हुए केले पर पीसा हुआ ज़ीरा डाल कर प्रति रात्रि शयन से पूर्व खाना भी नींद लाने में सहायक है.

    पथ्य/ अपथ्य तथा जीवनचर्या में कुछ लाभदायक सुधार (Diet Recommended In Ayurveda For Treatment Of Insomnia In Hindi)

  • ताज़े फलों और सब्जियों का सेवन, छिलकासहित पिसे हुए अन्न, छिलका सहित दालें, दुग्ध एवं मीठे खाद्य पदार्थों का सेवन करना चाहिए.
  • क्रीम की ड्रेसिंग वेल सलाद का सेवन करें.

Comments

Popular posts from this blog

स्वप्नदोष का देसी घरेलु इलाज और उपाय – Nightfall कैसे रोके?

संभोग/सेक्स की शक्ति को बढ़ाने के प्राकृतिक उपाय

आपको नहीं मालूम होंगे कंडोम के ये 4 साइड इफेक्ट्स