आयुर्वेद द्वारा लीवर सिरोसिस (Liver Cirrhosis) का उपचार

लिवर सरोसिस आयुर्वेद में वर्णित कुंभकाम्ल से मिलता-जुलता रोग है. इस रोग का मुख्य कारक है बहुत अधिक मदिरा पान. परंतु यह रोग हेपटाइटिस ए, बी, सी, डी नामक वाइरस के प्रकोप से भी होता है.बहुत से रोगों के लिए उपयुक्त दवाइयों के प्रयोग द्वारा या फिर पुरानी जिगर की बीमारी के कारण हो सकता है. Cryptogenic cirrhosis इस बीमारी का वह रूप है जिसमें अनिश्चित कारण से जिगर कार्य करना बंद कर देता है और सख़्त होकर गलने लगता है

लीवर सिरोसिस के लक्षण (Symptoms of Liver Cirrhosis In Hindi):-

खून की कमी या अनेमिया (anemia), कमज़ोरी और थकान, पीलिया, दिमाग़ में सूजन, हाथों में लालिमा.
पित्त की विकृति के कारण जिगर की कार्यशीलता में कमी आ जाती है. रस और रक्त धातु में जीववीश (toxins) उत्पन्न होते हैं. लगभग सभी प्रकार के दोष जैसे की पाचक शक्ति, चर्म की रंगत, भूख का ना लगना, ये सब लक्षण इस रोग में देखने को मिलते हैं.

लीवर सिरोसिस की जाँच और टेस्ट तथा आयुर्वेदीय वर्णन (Diagnosis of Liver Cirrhosis In Hindi):-

  • AMT और ALT के परीक्षण (test).
  • Alkaline Phosphatase बढ़ी हुई मात्रा को जाँचने के परीक्षण (test).
  • Gamma Glutaryl Transferase का बढ़ना
  • एल एफ टी (Liver Function Test) का चिकित्सक द्वारा विश्लेषण करवाएँ.
    आयुर्वेद में काम्ल नामक रोग का वर्णन है और इस से संबंधित उपचार से इस रोग में अत्यधिक लाभ पाया गया है ये ताप को ‘हलिमक’ कहते हैं. इस रोग से संबंधित दस्त भी हों तो उसे ‘पानकी’ कहते हैं.

लीवर सिरोसिस तथा अन्य जिगर संबंधित रोगों में लाभदायक औषधियाँ (Remedies useful in Liver Cirrhosis and other Liver Problems In Hindi):-

  • यकृतफलान्तक चूर्ण : इसका सेवन 1 चम्मच रोज़ करें.
  • भुमयामलकी (Phyllanthus niruri): 2 समय रोज़ इसका सेवन करें.
  • एकिनशिया (Echinacea) कॅप्सुल्स: 2 कॅप्सुल्स दिन में 3 बार.
  • इसके अलावा आरोगयावर्धीनी वॅटी, कुटकी, ककामाची, त्रिफला का प्रयोग लाभदायक है.
चिकित्सक के परामर्शानुसार इन औषधियों का सेवन करना चाहिए.
कुछ लोगों में उच्च रक्तचाप का निवारण करने हेतु बेटा ब्लॉकर (beta-blockers) का प्रयोग किया जाता है. परंतु इस दवाई का प्रादुर्भाव यह है की इससे पोर्टल हाइपरटेन्षन (portal hypertension) की व्याधि उत्पन्न होती है. पोर्टल हाइपरटेन्षन वह अवस्था है जिसमें रक्त का दबाव शरीर से अतिरिक्त जिगर की धमनियों में अधिक होता है जिससे इस अंग पर दुष्प्रभाव पड़ सकता है.
Hepatic encephalopathy:- इस स्थिति में शरीर में अमोनिया का निर्माण अधिक होता है और रोगी में अव्यवस्था और आत्मवसमृति पाई जाती है. ऊपर वर्णित औषधियों के सेवन से रक्त की शुद्धि होती है तथा यकृत को सामान्य कार्यशीलता भी प्राप्त होती है.
Bleeding से शरीर में खून की कमी आती है. इसके उपचार हेतु गेंदे के कुछ  फूलों का रस लेने से बहुत लाभ मिलता है. इस प्रयोग में यदि फूल ना मिलें तो कुशा का प्रयोग भी किया जा सकता है.
खुजली:- नारियल का पानी पीने से इस तकलीफ़ से निजात मिलती है.
व्यर्थ के शारीरिक काम, मसालेदार भोजन, टमाटर का सेवन ना करें. इस समस्या से बचा जा सकता है. घबराहट और क्रोध से बचने के लिए इस औषधि का प्रयोग किया जाता है. पूर्ण विश्राम लेना इस अवस्था में लाभदायक है. शराब का सेवन पूरी तरह रोक देना चाहिए.

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